सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई। 4 दिसंबर, 2023 को इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था। प्रतिमा के गिरने के बाद से ही विपक्ष महायुति सरकार पर हमलावर है। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने को लेकर माफी मांगी।
इस साल के अंत में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने को लेकर राज्य में सियासत तेज है। इस मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। मूर्ति गिरने के बाद विपक्षी दल महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। विरोधियों के आरोप के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य की जनता से माफी मांगी। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य की जनता से माफी मांगी, जिसके बाद मामला और गरमा गया है।
उधर सरकार ने भी मूर्ति प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। इसके अलावा सरकार ने एक नई मूर्ति के निर्माण का एलान किया है।
आइये जानते हैं कि महाराष्ट्र का मूर्ति प्रकरण क्या है? प्रतिमा किस वजह से गिरी? घटना के बाद सरकार ने क्या कदम उठाया? इस मामले पर विपक्ष क्या कह रहा है? सरकार का रुख क्या है? पीएम मोदी ने क्यों माफी मांगी?
महाराष्ट्र का मूर्ति प्रकरण क्या है?
दरअसल, इसी 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई। सिंधुदुर्ग जिले में 4 दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया था। 35 फुट की इस प्रतिमा का अनावरण नौसेना दिवस समारोह के हिस्से के रूप में किया गया यह आयोजन पहली बार राजकोट किले में किया गया था। इसका उद्देश्य समुद्री रक्षा और सुरक्षा के प्रति मराठा नौसेना और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत एवं आधुनिक भारतीय नौसेना के साथ इसके ऐतिहासिक संबंधों का सम्मान करना था। इस परियोजना की परिकल्पना और संचालन भारतीय नौसेना ने राज्य सरकार के साथ मिलकर किया था। इसके लिए राज्य सरकार ने धन भी मुहैया कराया था। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिमा पर महाराष्ट्र सरकार ने 2.36 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
प्रतिमा किस वजह से गिरी?
सिंधुदुर्ग में पिछले सप्ताह भारी बारिश और तेज हवाएं चली थीं। घटना के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तेज हवाओं के कारण प्रतिमा गिरने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘यह प्रतिमा नौसेना द्वारा स्थापित की गई थी। उन्होंने इसे डिजाइन भी किया था। लेकिन लगभग 45 किमी प्रति घंटा की तेज हवाओं के कारण यह गिर गई और क्षतिग्रस्त हो गई।’ इसके अलावा भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि प्रतिमा को असाधारण मौसम की स्थिति के कारण दुर्भाग्यपूर्ण क्षति हुई है।
संरचनात्मक इंजीनियर अमरेश कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘प्रतिमा मामले में, भार या जलवायु परिस्थितियों जैसे बाहरी कारणों से समस्या नहीं हुई है। बल्कि, नट और बोल्ट में जंग के कारण, जैसा कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, प्रतिमा के अंदर फ्रेम बनाने वाले स्टील की प्लेटों में खराबी आ सकती है।’
इस बीच, महाराष्ट्र कला निदेशालय के निदेशक राजीव मिश्रा ने कहा कि 35 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की नहीं बल्कि 6 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की अनुमति दी गई थी। निदेशालय को इसकी वास्तविक ऊंचाई और इसके निर्माण में स्टील प्लेट के इस्तेमाल के बारे में जानकारी नहीं थी।
घटना के बाद सरकार ने क्या कदम उठाया?
महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिमा गिरने के कारणों की जांच के लिए इंजीनियरों, आईआईटी विशेषज्ञों और नौसेना के अधिकारियों की एक तकनीकी समिति गठित की है। सिंधुदुर्ग के पुलिस अधीक्षक सौरभ अग्रवाल ने फोरेंसिक जांच के लिए धातु के नमूने पहले ही ले लिए हैं। उधर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल और कलाकार जयदीप आप्टे को कोल्हापुर से गिरफ्तार किया है।
दूसरी समिति अतिरिक्त मुख्य सचिव (पीडब्ल्यूडी) मनीषा म्हैसकर के अधीन नियुक्त की गई है, जो इस बात का अध्ययन करेगी कि उसी स्थान पर एक नई प्रतिमा कैसे स्थापित की जा सकती है। सीएम शिंदे ने कहा कि सरकार प्रतिमा का पूरा खर्च वहन करेगी। सीएम ने 28 और 29 अगस्त को अपने आवास पर विनय वाघ, शशिकांत वाडके और अनिल सुतार जैसे कई प्रसिद्ध मूर्तिकारों से मुलाकात की।
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ नौसेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण की तत्काल जांच करने के लिए एक टीम का गठन किया है। यह टीम प्रतिमा की मरम्मत, पुनः निर्माण करने और पुनर्स्थापना लिए जल्द से जल्द कदम उठाने का काम करेगी।
इस मामले पर विपक्ष क्या कह रहा है?
मूर्ति के गिरने के बाद से ही विपक्ष महायुति सरकार समेत प्रधानमंत्री के खिलाफ हमलावर है। बुधवार को एनसीपी (शपा) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं कर सकती। जब भी किसी मूर्ति का निर्माण किया जाता है, तो राज्य अधिकारियों से अनुमति लेना आवश्यक होता है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा गिरने को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘लोगों ने देखा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा कैसे गिर गई और लोग किस तरह के बयान दे रहे हैं। राज्य भवन समुद्र तट पर है, लेकिन राज्यपाल की टोपी भी कभी नहीं उड़ी और वे कहते हैं कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा तेज हवाओं के कारण गिर गई, यह कैसे संभव है?’
पृथ्वीराज चव्हाण सहित कांग्रेस नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर हमला बोला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव की जल्दबाजी में मूर्ति का उद्घाटन कर दिया गया। पीएम ने अपराध किया है।
गठबंधन सरकार ने घटना पर क्या कहा है?
इस घटना के बाद राज्य की महायुति सरकार में शामिल दलों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विपक्षी दलों से इस मामले का राजनीतिकरण न करने का आह्वान करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का गहरा सम्मान है और उन्हें आदर और सम्मान देना सभी का कर्तव्य है।
एनसीपी नेता और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने सिंधु दुर्ग में शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने पर दुख जताते हुए महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोगों से माफी मांगी। अजित ने कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे देवता हैं। एक साल के भीतर उनकी मूर्ति का इस तरह से गिरना सभी के लिए एक झटका है।’
उन्होंने सवाल उठाए कि क्या महाराज की प्रतिमा स्थापित करते समय भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु जैसे अहम पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था? राज्य सरकार ने मूर्ति बनाने में इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता की जांच की और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज किया। अजित ने कहा कि किले में प्रतिमा जल्द से जल्द स्थापित की जाएगी। साथ ही लापरवाही बरतने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उधर भाजपा नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। ये बेहद दुखद है और इसकी जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। फडणवीस ने कहा कि विपक्ष को ऐसी ओछी राजनीति नहीं करनी चाहिए
पीएम मोदी ने क्या प्रतिक्रिया दी है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने को लेकर माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज मेरे लिए सिर्फ नाम नहीं हैं। हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज अराध्य देव हैं। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, मैं सिर झुकाकर मेरे अराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में माथा रखकर माफी मांगता हूं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे संस्कार अलग हैं। हम वो लोग नहीं हैं जो आए दिन भारत मां के महान सपूत, इसी धरती के लाल वीर सावरकर को अनाप-शनाप बोलते हैं। अपमानित करते रहते हैं। देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वे लोग वीर सावरकर को अपशब्द कहने के बाद भी माफी मांगने को तैयार नहीं हैं। उनको पाश्चाताप नहीं होता है। महाराष्ट्र की जनता उनके संस्कार को अब जान गई है।’